समंदर न हो तो कश्ती किस काम की,
मजाक न हो तो मस्ती किस काम की,
दोस्तों के लिए कुर्बान है ये ज़िन्दगी,
दोस्त न हो तो ये ज़िन्दगी किस काम की।
(Visited 62 times, 1 visits today)
समंदर न हो तो कश्ती किस काम की,
मजाक न हो तो मस्ती किस काम की,
दोस्तों के लिए कुर्बान है ये ज़िन्दगी,
दोस्त न हो तो ये ज़िन्दगी किस काम की।