आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी हैं,
कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं
कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी हैं।
आराम से तनहा कट रही थी तो अच्छी थी,
जिंदगी तू कहाँ दिल की बातों में आ गयी ।
अजीब तरह से गुजर गयी मेरी जिंदगी,
सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ।
ऐ ज़िन्दगी इतने भी दर्द न दे कि मैं बिखर जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी ग़म न दे कि ख़ुशी भूल जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी आँसू न दे कि मैं हँसना भूल जाऊं,
इतने भी इम्तिहान न ले कि मैं हार के जीना भूल जाऊं।
बारिश में रख दूँ जिंदगी को
ताकि धुल जाए पन्नो की स्याही,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का
मन करता है कभी-कभी।
बेगाने होते लोग देखे,
अजनबी होता शहर देखा
हर इंसान को यहाँ,
मैंने खुद से ही बेखबर देखा।रोते हुए नयन देखे,
मुस्कुराता हुआ अधर देखा
गैरों के हाथों में मरहम,
अपनों के हाथों में खंजर देखा।मत पूछ इस जिंदगी में,
इन आँखों ने क्या मंजर देखा
मैंने हर इंसान को यहाँ,
बस खुद से ही बेखबर देखा।
चाहा है तुझको तेरे तगाफुल के बावजूद,
ऐ ज़िन्दगी तू भी याद करेगी कभी हमें।
चेहरे की हँसी से गम को भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो,
खुद ना रूठो पर सबको हँसा दो,
यही राज है ज़िन्दगी का…
जियो और जीना सिखा दो।
चूम लेता हूँ हर मुश्किल को अपना मान कर मैं,
क्यूँकि ज़िन्दगी कैसी भी है… है तो मेरी ही।
धूप में निकलो, घटाओं में नहाकर देखो,
ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो।
एक साँस सबके हिस्से से हर पल घट जाती है,
कोई जी लेता है जिंदगी किसी की कट जाती है।
धूप और छाँव कि पतली लकीर पर खड़ा हूँ,
दोनों पार यादें हैं सपने हैं उम्मीदें हैं
और है बहता हुआ वक्त भी…।
दुनिया में सैकड़ों दर्दमंद मिलते हैं,
पर काम के लोग चंद मिलते हैं,
जब मुसीबत का वक़्त आता है,
सब के दरवाजे बंद मिलते हैं।
जब रूह किसी बोझ से थक जाती है,
एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है,
मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन,
ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है।
जिस दिन किताब-ए-इश्क की तक्मील हो गई,
रख देंगे ज़िन्दगी तेरा… बस्ता उठा के हम।
कभी बनती थी तो
कभी बिगड़ कर बैठ जाती थी,
तेरे साथ जैसी भी थी जिंदगी
जिंदगी जैसी तो थी।
कभी धूप दे… कभी बदलियाँ,
दिलो जान से दोनों क़बूल हैं,
मगर उस नगर में न कैद कर,
जहाँ जिंदगी की हवा न हो।
कदम-कदम पे नया इम्तिहान रखती है,
ज़िन्दगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है।
लोग डूबते हैं तो समंदर को दोष देते हैं,
मंजिल न मिले तो मुकद्दर को दोष देते हैं,
खुद तो संभल कर चल नहीं सकते,
जब ठेस लगती है तो पत्थर को दोष देते हैं।
सफर ज़िन्दगी का बहुत ही हसीन है,
सभी को किसी न किसी की तालाश है,
किसी के पास मंज़िल है तो राह नहीं,
और किसी के पास राह है तो मंज़िल नहीं।
समझ जाता हूँ मीठे लफ़्ज़ों में छुपे फरेब को,
ज़िन्दगी तुझे समझने लगा हूँ आहिस्ता आहिस्ता।
शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है,
हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है,
कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।
यह ज़िन्दगी बस सिर्फ पल दो पल है,
जिसमें न तो आज और न ही कल है,
जी लो इस ज़िंदगी का हर पल इस तरह,
जैसे बस यही ज़िन्दगी का सबसे हसीं पल है।
यूँ ही खत्म हो जायेगा जा़म की तरह
जिन्दगी का सफ़र,
कड़वा ही सही एक बार तो
नशे में होकर इसे पिया जाये।
ज़िंदादिली होती है जिन्दगी,
इश्क मे घुली होती है जिन्दगी,
तुमसे मिलने कि चाहत रखती है जिन्दगी,
लेकिन तक़दीर नही मिलने देती है जिन्दगी.
ज़िन्दगी हर हाल में एक मुकाम माँगती है,
किसी का नाम तो किसी से ईमान माँगती है,
बड़ी हिफाजत से रखना पड़ता है दोस्त इसे,
रूठ जाए तो मौत का सामान माँगती हैं।
ज़िन्दगी जिसको तेरा प्यार मिला वो जाने,
हम तो नाकाम ही रहे चाहने वालों की तरह।
जिन्दगी लत है,
हर लम्हे से बेपनाह मोहब्बत है,
मुश्किल और सुकून की कशमकश में,
जिंदगी यूं ही जिये जाता हूँ…
ज़िन्दगी तुझसे हर एक साँस पे समझौता करूँ,
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं,
रूह को दर्द मिला… दर्द को आँखें न मिली,
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं।
I hope you like shayari zindagi .